Para 1 : एक दिन कोयले की खान में काम करते समय संयोग से मैंने दो खनिजों को वर्जीनिया में किसी स्थान पर बने अश्वेत लोगों के किसी विशाल स्कूल के बारे में वार्तालाप करते हुए सुना। यह पहला अवसर था जब मैंने किसी ऐसी स्कूल या कालेज के विषय में सुना था जो हमारे कस्बे में बनी अश्वेत लोगों के छोटे से स्कूल से कहीं अधिक आकर्षक था।
Para 2 : वे जैसे-जैसे उस स्कूल का वर्णन कर दिए गए मुझे ऐसा प्रतीत हुआ कि पृथ्वी पर सर्वश्रेष्ठ स्थान होगा। उस समय मुझे स्वर्ग भी इतना अधिक आकर्षक प्रतीत नहीं हुआ जितना कि वर्जीनिया का हैंपटन नॉरमल एंड एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट, जिसके विषय में व्यक्ति बातें कर रहे थे मैंने तुरंत ही उस स्कूल में जाने का निश्चय किया लेकिन मुझे थोड़ा सा भी यह कल्पना नहीं थी कि वह कहां है या कितने मील दूर है या मैं वहां कैसे पहुंच सकता हूं मेरे मन में निरंतर एक ही अभिलाषा हिलोरे मार रही थी और वह थी हैम्पटन जाने की मैं दिन-रात इसी विषय में सोचता रहता था।
Para 3 : सन 1872 के पतझड़ के मौसम में, मैंने वहन पहुचने का दृढ निश्चय कर लिया। मेरी माता इस गंभीर आशंका से दुखी थीं कि मैं एक निरर्थक कार्य शुरू करने जा रहा हूँ। फिर भी किसी तरह, मैंने उनसे अनमने ढंग से स्वीकृति प्राप्त कर ली कि मैं जा सकता हूँ। कपड़े खरीदने और मार्ग को जाने के लिए मेरे पास बहुत कम धन था। मेरे भाई जॉन ने मेरी वह समस्त सहायता की जो कि वह क्र सकते थें ; परन्तु, वास्तव में, वह पर्याप्त नही था।
Para 4 : अंततः वह शुभ दिन आ गया और मैं हैम्पटन के लिए रवाना हो गया। मेरे पास केवल एक सस्ता छोटा सा थैला था जिसमे थोड़े से कपडे थें जो मुझे मिल सके थें। उस समय मेरी माँ कुछ कमजोर और अस्वस्थ थीं। मैं मुश्किल से आशा क्र सकता था कि मैं उन्हें पुनः देख पाउँगा ; और इसी कारण हमारा विछोह बहुत दुखदाई था। उन्होंने, फिर भी, आखिर तक हिम्मत बनाई रखीं।
Para 5 : माल्दन से हैंपटन की दूरी लगभग 500 मील है। पैदल चलकर तथा विनती करके घोड़ा गाड़ियों व कारों में स्थान पाकर किसी प्रकार मैं कई दिनों के बाद वर्जीनिया की रिचमांड नगर में पहुंचा जो हैंपटन से 82 मील दूर था। जब मैं थका हुआ, भूखा और धूल भरा वहां पहुंचा तो रात बहुत बीत चुकी थी।
Para 6 : इससे पहले मैं कभी किसी बड़े शहर में नहीं गया था, इस कारण मुझे अधिक परेशानी हुई। जब मैं रिचमांड पहुंचा, मेरे पास कुछ भी धन नहीं बचा था। उस जगह मैं किसी को जानता भी नहीं था; और शहरी तौर तरीके से अनभिज्ञ होने के कारण मैं नहीं जानता था कि कहां जाऊं। मैंने ठहरने के लिए अनेक जगह पूछताछ की किंतु सभी लोग धन चाहते थे और धन मेरे पास नहीं था। कोई दूसरा उपाय समझ में ना आने के कारण मैं घूमता रहा।
Para 7 : मैं आधी रात के बाद तक गलियों में घूमता रहा। अंत में मैं इतना थक गया कि और अधिक नहीं चल सकता था। मैं थका हुआ था, मैं भूखा था, मैं सब कुछ था लेकिन हताश नहीं हुआ था। जब मैं शारीरिक रूप से थक कर बिल्कुल चूर हो गया तो अकस्मात एक गली के उस किनारे पर पहुंचा, जहां लकड़ी की बनी पगडंडी बहुत ऊपर उठी हुई थी। मैंने कुछ छडों के लिए प्रतीक्षा की जब तक कि मैं आश्वस्त नहीं हो गया कि कोई पथिक मुझे देख नहीं सकता और तब रेंगकर मैं पगडंडी के नीचे पहुंच गया और अपने थैले को तकिए की तरह लगा कर रात भर भूमि पर लेटा रहा लगभग सारी रात में भारी कदमों की आहट अपने सिर के ऊपर सुनता है।
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