हेलो दोस्तों आज हम आपके भौतिक विज्ञान का बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक लेकर आएं है। इसमें आप यह पढ़ सकते है- न्यूटन के गति का नियम, भौतिक राशि का परिमाण, भौतिक राशियाँ, सदिश राशियाँ आदि।
भौतिक राशियाँ
(1) अदिश (Scalar): (इनमें केवल परिमाण होता है) राशियाँ
(2) सदिश (vector): (इनमें परिमाण व दिशा दोनों होते हैं) राशियाँ।
सदिश राशि
आवृत्ति
एक कम्पन पूरा करने में जितना समय लगता है उसे आवर्त काल (Time Period) कहते हैं।
आवर्त काल = 1 / आवृति
अर्थात, T = 1 / f
आवेग
यदि किसी पिंड पर एक नियम बल F को डेल्टा t समान्तराल के लिए लगाया जाये, तो इस बल का आवेग F * डेल्टा t होगा। आवेग एक राशि है। इसकी दशा वही होगी जो बल की है।
माना कि किसी पिण्ड का द्रव्यमान m है। इस पर नियम बल F को डेल्टा t समान्तराल के लिए लगाने पर वेग में डेल्टा v परिवर्तन हो जाता है। तब न्यूटन के नियमानुसार-
F = m*a = m * डेल्टा v / डेल्टा t
F डेल्टा t = m डेल्टा t
चुकी m डेल्टा v = डेल्टा p
इसलिए F डेल्टा t = डेल्टा p
अतः किसी पिंड को दिया गया आवेग, पिंड में उत्पन्न संवेग–परिवर्तन के बराबर होता है। अतः आवेग का मात्रक भी वही होता है जो संवेग (न्यूटन.सेकेण्ड) का है।
कार्य
कार्य = बल & बल की दिशा में चली गई दूरी।
W = F x d (कार्य का मात्रक जूल है)
शक्ति
P =w/t (शक्ति का मात्रक वाट(w) है
भार
दाब
दाब का मात्रक न्यूटन प्रति वर्ग मी. अथवा पास्कल है।
वायुमंडलीय दाब: पृथ्वी के चारों ओर काफी ऊँचाई तक वायु है जिसे वायुमंडल कहते हैं। वायु का भार होता है अत: यह पृथ्वी की सतह पर ही नहीं, बल्कि पृथ्वी पर स्थित सभी वस्तुओं पर दाब डालती है। वास्तव में, मानव एवं समुद्र की वायुमंडलीय दाब को वायुदाबमापी (barometer) द्वारा मापा जाता है।
ऊर्जा
गुरुत्व
गुरुत्व जनित त्वरण (g) वस्तु के रूप, आकार, द्रव्यमान आदि पर निर्भर नहीं करता है.
गति
सामान्य शब्दों में गति का अर्थ – वास्तु की स्थिति में परिवर्तन गति कहलाती है।
घनत्त्व
चाल
त्वरण
दूरी
द्रव्यमान संख्या
न्यूटन के नियम “न्यूटन का गति -नियम (newton ‘s laws of motion ): भौतिकी के पिता न्यूटन ने सन 1687 ई० में अपनी किताब “”प्रिन्सिपिया”” में गति के पहले नियम को प्रतिपादित किया था।

यदि कोई वस्तु विराम अवस्था में है तो वह विराम अवस्था में रहेगी या यदि वह एक समान चाल से सीधी रेखा में चल रही है, तो वैसी हे चलती रहेगी, जब तक उस पर कोई बाहरी बल लगाकर उसकी वर्तमान अवस्था में परिवर्तन न किया जाए।
प्रथम नियम को गैलिलियो का नियम या जड़त्व का नियम भी कहते हैं।
बाह्य बल के आभाव में किसी वस्तु की अपनी विरामावस्था या समान गति की अवस्था को बनाए रखने की प्रवत्ति को जड़त्व कहते हैं।
प्रथम नियम से बल की परिभाषा मिलती है।
जड़त्व के कुछ उदाहरण:
(ii) चलती हुई मोटर कार के अचानक रुकने पर उसमें बैठे यात्री आगे की ओर झुक जाते हैं.
(iii) कंबल को हाथ से पकड़ कर डंडे से पीटने पर धूल के कण झड़कर गिर पड़ते हैं।
संवेग: किसी वस्तु के द्रव्यमान तथा वेग के गुणनफल को उस वस्तु का संवेग कहते हैं. अथार्त् संवेग = वेग x द्रव्यमान
यह एक सदिश राशि है. इसका S.I. मात्रक किग्राम x मी./से. है।
न्यूटन का द्वितीय गति नियम ( newton’s second law of motion):

किसी वस्तु के संवेग में परिवर्तन की दर उस वस्तु पर आरोपित बल के समानुपाती होती है. तथा संवेग परिवर्तन की दिशा में होता हैं अब यदि आरोपित बल F, बल की दिशा में उत्पन्न त्वरण a एवं वस्तु का द्रव्यमान m हो, तो न्यूटन के गति के दूसरे नियम से f = ma यानी कि न्यूटन के दूसरे नियम दे बल का व्यंजक प्राप्त होता है.
नोट: प्रथम नियम दूसरे नियम का ही अंग हैं।
न्यूटन का तृतीय गति नियम (newton’s third law of motion):

प्रत्येक क्रिया के बराबर, परन्तु विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है। उदाहरण:
(i) बंदूक से गोली चलाने पर, चलाने वाले को पीछे की ओर धक्का लगना
(ii) नाव से किनारे पर कूदने पर पीछे की ओर हट जाना
(iii): रॉकेट को उड़ाने में।
बल
अभिकेन्द्र बल
बल को अभिकेन्द्र बल कहते हैं। किसी कण की वृत्तीय गति के लिए इस बल का उस पर लगा होना आवश्यक है।
मात्रक
किसी भी भौतिक राशि की माप को मात्रक के आगे एक आंकिक संख्या लिखकर व्यक्त किया जाता है। इसे उस भौतिक राशि का परिमाण कहते हैं।
यद्यपि हमारे द्वारा मापी जाने वाली भौतिक राशियों की संख्या बहुत अधिक है, फिर भी, हमें इन सब भौतिक राशियों को व्यक्त करने के लिए, मात्रकों की सीमित संख्या की ही आवश्यकता होती है, क्योंकि ये राशियाँ एक दूसरे से परस्पर संबंधित हैं।
‘‘मूल राशियों को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त मात्रकों को मूल मात्रक कहते हैं। ये मात्रक अन्य मात्रकों पर निर्भर नहीं करते हैं अपितु ये अपने आप में स्वतंत्र होते हैं।’’
मूल राशियों के अतिरिक्त अन्य सभी भौतिक राशियों के मात्रकों को मूल मात्रकों के संयोजन द्वारा व्यक्त किया जा सकता है। इस प्रकार प्राप्त किए गए व्युत्पन्न राशियों के मात्रकों को व्युत्पन्न मात्रक कहते हैं। व्युत्पन्न मात्रक मूल मात्रकों पर निर्भर करते हैं।
मूल-मात्रकों और व्युत्पन्न मात्रकों के सम्पूर्ण समुच्चय को मात्रकों की प्रणाली (या पद्धति) कहते हैं।
बहुत वर्षों तक मापन के लिए, विभिन्न देशों के वैज्ञानिक, अलग-अलग मापन प्रणालियों का उपयोग करते थे। अब से कुछ समय-पूर्व तक ऐसी तीन प्रणालियाँ प्रमुखता से प्रयोग में लाई जाती थी-
1. CGS प्रणाली
2. FPS (ब्रिटिश) प्रणाली
3. MKS प्रणाली
इन प्रणालियों में लम्बाई, द्रव्यमान एवं समय के मूल मात्रक क्रमशः इस प्रकार हैं:-
1. CGS प्रणाली – सेन्टीमीटर, ग्राम एवं सेकंड।
2. FPS प्रणाली- फुट, पाउन्ड एवं सेकंड।
3. MKS प्रणाली- मीटर, किलोग्राम एवं सेकंड।
आजकल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्य प्रणाली अर्थात मात्रकों की अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली (एस आई प्रणाली) प्रयुक्त की जाती है। इसको फ्रेंच भाषा में ‘सिस्टम इन्टरनेशनल डि यूनिट्स’ कहते हैं। इसे संकेताक्षर में SI लिखा जाता है। SI प्रतीकों, मात्रकों और उनके संकेताक्षरों की योजना को 1971 में, मापतोल के महासम्मेलन द्वारा विकसित कर, वैज्ञानिक, तकनीकी, औद्योगिक एवं व्यापारिक कार्यों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उपयोग हेतु अनुमोदित किया गया था।
SI मात्रकों की 10 की घातों पर आधारित (दाश्मिक या दशमलव) प्रवृति के कारण, इस प्रणाली के अंतर्गत रूपांतरण अत्यंत सुगम एवं सुविधाजनक है।
मूल राशि SI मात्रक का नाम SI मात्रक का प्रतीक
1. लंबाई मीटर m
2. द्रव्यमान किलोग्राम kg
3. समय सेकंड s
4. विद्युत धारा ऐम्पियर A
5. ऊष्मागतिक ताप केल्विन K
6. पदार्थ की मात्रा मोल mol
7. ज्योति-तीव्रता कैण्डेला cd
(La Mb Tc Qd)
प्रमुख भौतिक रशियों के विमीय सूत्र
व्युत्पन्न भौतिक राशि अन्य भौतिक राशियों से सम्बन्ध विमीय सूत्र
क्षेत्रफल = लम्बाई ×चौड़ाई ( L2)
आयतन = लम्बाई ×चौड़ाई × मोटाई (L3)
वेग = विस्थापन / समय ( LT-1)
त्वरण वेग परिवर्तन / समय LT-2
आवेग बल × समय MLT-1
बल द्रव्यमान × त्वरण MLT-2
कार्य बल × विस्थापन ML2T-2
शक्ति कार्य / समय ML2T-3
घनत्व द्रव्यमान / आयतन ML-3
संवेग द्रव्यमान × वेग MLT-1
दाब बल / क्षेत्रफल ML-1T-2
बल आघूर्ण बल × दूरी ML2T-2
प्रतिबल बल / क्षेत्रफल ML-1T-2
विकृति लम्बाई में वृद्धि / प्रारम्भिक वृद्धि L0
पृष्ठ तनाव बल / लम्बाई MT-2
कोणीय वेग कोण / समय T-1
जड़त्व आघूर्ण द्रव्यमान × (दूरी)2 ML2
विस्थापन
वेग
व्युत्पन्न मात्रक
• क्षेत्रफल = लम्बाई × चौड़ाई
क्षेत्रफल का मात्रक = मीटर × मीटर = मीटर2
• आयतन = लम्बाई × चौड़ाई × ऊँचाई
आयतन का मात्रक = मीटर × मीटर ×मीटर = मीटर3
• घनत्व = द्रव्यमान/आयतन
घनत्व का मात्रक = किग्रा/मीटर3
• वेग = विस्थापन/समय
वेग का मात्रक = मीटर/सेकेण्ड
• चाल = दूरी/समय
चाल का मात्रक = मीटर/सेकेण्ड
• त्वरण = वेग–परिवर्तन/समय
त्वरण का मात्रक = मीटर/सेकेण्ड/सेकेण्ड = मीटर/सेकेण्ड2
• बल = द्रव्यमान ×त्वरण
बल का मात्रक = किग्रा ×मीटर/सेकेण्ड2 = किग्रा–मीटर/सेकेण्ड2 = न्यूटन
संवेग
यह एक सदिश राशि है. इसका S.I. मात्रक किग्राम x मी./से. है.
स्थितिज ऊर्जा
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